शनिवार, 11 जुलाई 2020

शुभ कार्यों में खाना उतना ही बनाएं कि बचने पर उसे फेंकने की नौबत न आए। अन्न को कूड़ेदान में फेंकना तो अन्नदाता का अपमान है और अन्नदाता का अपमान करके हम किसी भी कार्य को 'शुभ' कैसे कह सकते हैं।


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