सुविचार 365
सोमवार, 17 अगस्त 2020
चाहे कड़वा बोलो या मीठा, दोनों में ज़ुबान ही चलानी पड़ती है, फिर क्यूँ न मीठा बोला जाए। मीठा बोलने वाले की तो मिर्ची भी बिक जाती है वहीं कड़वा बोलने वाले की तो मिश्री भी पड़ी रह जाती है।
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