सुविचार 365
शनिवार, 25 जुलाई 2020
मुक्त बनिए, मूच्र्छित नहीं। मूच्र्छा और मुक्ति में इतना-सा-फर्क है कि जिसने कागज को धन समझ लिया वह मूच्र्छित हो गया और जिसने धन को कागज समझ लिया वह मुक्त हो गया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें