सुविचार 365
मंगलवार, 5 नवंबर 2019
ज़िंदगी एक बॉंसुरी है। उसमें दुख रूपी छेद तो बहुत सारे हैं पर जिसको बॉंसुरी बजानी आ जाती है वह उन छेदों में से भी मीठा संगीत पैदा कर लेता है।
ज़िंदगी जलेबी की तरह होती है। यह टेढ़ी-मेढ़ी जरूर होती है पर मुस्कान की चासनी अगर हम लगाते रहेंगे, तो यह भी सबको मधुर लगेगी।
सोमवार, 4 नवंबर 2019
गलतफहमी के शिकार मत बनिए। रिश्ता और शीशा दोनों गलती से ही टूटते हैं। शीशा अगल गलती से टूटता है तो रिश्ता गलतफहमी से।
रविवार, 3 नवंबर 2019
रात को सोने से पहले यह कहते हुए गलतियों के लिए क्षमा मांगिए-हे प्रभु ! मेरे द्वारा दिनभर में किसी भी प्रकार का गलत चिंतन हुआ हो, गलत वचन निकला हो, गलत कार्य या व्यवहार हुआ हो, उसके लिए मैं सो दिल से क्षमा प्रार्थना करता हूं।
शनिवार, 2 नवंबर 2019
हंसने का वरदान भगवान के घर से केवल इंसान लेकर आया है, गधे, कुत्ते, घोड़े चाहकर भी नहीं हंस सकते। आप इस वरदान का इतना खुलकर उपयोग कीजिए कि अगर कभी कोई मुसीबत भी आ जाए तो हम उसे हंसी में उड़ा सकें।
खुद को मात्र पैंसिल नहीं, बल्कि रबर भी बनाइए। पैंसिल इसलिए कि कुछ नया सृजन कर सकें और रबर इसलिए कि जीवन में गलती हो जाए तो सुधार भी सकें।
परेशानियां आएं तो घबराएं नहीं, हौसले बुलंद कीजिए। परेशानियों से कहिए तेरा कद कितना भी बड़ा क्यों न हो, पर मेरे हौसलों का कद तेरे कद से कई गुणा बड़ा है।
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